प्राचार्य

Dr. Abhaya K Singh


संदेश


का. सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अपनी स्थापना के बाद पिछले 59 वर्षों से प्रदेश का यदि शीर्ष-स्थानिकशिक्षा-केन्द्र बना हुआ है, तो निश्चितरूप से इसका श्रेय महाविद्यालय के उस अकादमिक स्वरूप को दिया जाना चाहिए जो समय के इस लम्बे अन्तराल में और भी ज्ञान, विचार व अनुभ-सम्पन्न हुआ है।एक ओर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में महाविद्यालयों की अभूतपूर्व संख्या बढ़ी है, तो दूसरी ओर इन सब के बावजूद एक अध्ययन केन्द्र के रूप में साकेत महाविद्यालय की उत्तरोत्तर प्रासंगिकता भी।

अपने प्रारंभिक संकोच के बाद महाविद्यालय ने नई सूचना व प्रौद्योगिकी से एक जीवंत व खुला संवाद / सहकार बनाना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में आप महाविद्यालय की प्रत्येक गतिविधि को इसकी वेबसाइट पर रिकार्ड होता हुआ देख सकेंगे । कालेज की वेबसाइट को विद्यार्थियों के शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति तो करना ही चाहिए, उसे रोजमर्रा की प्रशासनिक व कार्यालय अपेक्षाओं को पूरा करने वाला एक वर्चुअल अभिलेख-केन्द्र भी होना चाहिए। हम इस सत्र में निश्चित रूप से ऐसा कर सकने में सक्षम होंगे।

अध्ययन केन्द्र के रूप में साकेत महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना एक विद्यार्थी के लिए एक ऐसा अवसर है जहाँ वो न केवल उच्च स्तर की शिक्षा को विशेषीकृत करता है बल्कि अपने व्यावहारिक जीवन में विकास की बहुआयामी दिशाओं को विकसित करने का कौशल भी सीखता है। अब तक की शिक्षण परंपरा में, कालेज का बल अकादमिक श्रेष्ठता को निर्धारित करना तो रहा ही है, साथ ही विद्यार्थियों में आत्मानिशासन, सहिष्णुता  और परोपकार जैसे मानवीय मूल्यों को इस शिक्षा के साथ उसके अंतरंग तत्व के रूप में जोड़कर विकसित करना भी रहा है।

मैं पूरे विश्वास के साथ यह कहना चाहता हूँ कि उपाधि लेकर यहाँ से निकलने वाले नवयुवक विद्यार्थी न केवल अपने अर्जित किए गये ज्ञान को बल्कि मानवीय मूल्यों और सद्गुणों को भी, जो उन्होंने यहाँ से अध्ययन के दौरान विकसित किया है; आने वाले समय में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सिद्ध करेंगे।

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